Thursday, March 13, 2014

माँ

अनंत है ममता तेरी, छोर नहीं कोई पाने को, 
आजन्म ऋणी है तेरे माँ, कुछ भी नहीं चुकाने को, 
माँ सृष्टा भी तुम हो,सृष्टि भी तुम हो, 
जननी भी तुम हो, जगत भी तुम हो, 
तुम सृजनहार,तुम पालनहार 
मेरा नमन तुम्हे है माँ बार बार।  

तुम बिन ये संसार अधूरा,तुम बिन मेरा जीवन है कोरा, 
तुम जब करीब न हो तो लगे हर दिशा में अँधेरा, 
तुम जब करीब हो तो मिले हर पल रोशन सवेरा 

तेरी ममता की कोई तुलना नहीं, 
प्यार देने में कोई कमी नहीं, 
कमी है तो केवल हम बच्चो में, 
जिन्हे तेरी ममता की परवा नहीं।  

नौ महीने तक सहा तुमने जिसके लिए दर्द हर रोज़, 
जिन्हे देना चाहिए तुम्हे सहारा, अफ़सोस, 
वही आज तुम्हे समझ रहे हैं अपने जीवन में बोझ।  

तूने हर कदम पे  अपनी ममता का प्रमाण दिया, 
खोट है मुझमे, करता हूँ नादानी,फिर भी मुझ पर गुमान किआ 
लानत है मुझपर जो तेरी ममता का अपमान किआ।  

भटक गया हूँ,चला गया हूँ माँ तुझसे कितना दूर, 
बस पुकार देकर आखरी बार बुला दे, 
चाहता हूँ तू पकड़े मेरा कान, 
और मुझको सही राह दिखला दे माँ, मुझको सही राह दिखला दे। 

Monday, March 3, 2014

मेरी मोहब्बत है खोयी !

थी जो तेरे मेरे दरमियाँ,
खुशियां  रही  ना अब यहाँ कोई,
जाने कहाँ हो गयी है लापता,
इसकी हमको भनक भी ना होई,
थे संजोये सपने सहारे जिसके,
पता नहीं वो मोहब्बत कहाँ है खोयी।


इतनी शिद्दत से करती थी जिसका श्रृंगार,
उस हसीन मुस्कुराहट का निशाँ ना कोई,
नीरस हो गया है अब ये समा,
बिना इसके, ज़िन्दगी भी मेरी सूनी होई,
बनाये रखती थी जो खूबसूरती तुम्हारी,
जाने वो मोहब्बत कहाँ है खोयी।


मौजूदगी से तेरी जागी थी जो किस्मत मेरी,
जाने से तेरे वो बेचारी फिर से है सोयी
कर गयी है मुझको इतना बेबस और तन्हा,
की मेरी रूह भी मेरे संग खूब है रोई ,
बांधे रखा था जिसने हमारे रिश्ते की डोर को,
करके मुझे अधूरा जाने वो मोहब्बत कहाँ है खोयी।